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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 6: युद्ध काण्ड
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सर्ग 70: हनुमान जी के द्वारा देवान्तक और त्रिशिरा का, नील के द्वारा महोदर का तथा ऋषभ के द्वारा महापार्श्व का वध
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श्लोक 35
श्लोक
6.70.35
तद् व्यर्थं शिखरं दृष्ट्वा द्रुमवर्षं तदा कपि:।
विससर्ज रणे तस्मिन् रावणस्य सुतं प्रति॥ ३५॥
अनुवाद
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रघुवर के पर्वत शिखर के प्रहार को व्यर्थ होते देखते ही वीरवर हनुमान जी ने रणभूमि में रावण के पुत्र त्रिशिरा पर वृक्षों की वर्षा शुरू कर दी।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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