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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 6: युद्ध काण्ड
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सर्ग 70: हनुमान जी के द्वारा देवान्तक और त्रिशिरा का, नील के द्वारा महोदर का तथा ऋषभ के द्वारा महापार्श्व का वध
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श्लोक 32
श्लोक
6.70.32
तत: स शैलाभिनिपातभग्नो
महोदरस्तेन महाद्विपेन।
व्यामोहितो भूमितले गतासु:
पपात वज्राभिहतो यथाद्रि:॥ ३२॥
अनुवाद
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उस पर्वत-शिखर के आघात से महोदर उस महान् गजराज के साथ ही चूर-चूर हो गया और बेहोश होकर प्राण विहीन होकर वज्र के मारे हुए पर्वत की भाँति पृथ्वी पर गिर पड़ा।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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