वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
»
काण्ड 6: युद्ध काण्ड
»
सर्ग 70: हनुमान जी के द्वारा देवान्तक और त्रिशिरा का, नील के द्वारा महोदर का तथा ऋषभ के द्वारा महापार्श्व का वध
»
श्लोक 22
श्लोक
6.70.22
तद्बाणशतनिर्भिन्नं विदारितशिलातलम्।
सविस्फुलिङ्गं सज्वालं निपपात गिरे: शिर:॥ २२॥
अनुवाद
play_arrowpause
उसके सैकड़ों बाणों के प्रहार से उस पर्वत की शिखर की एक-एक शिला विदीर्ण हो गयी और आग की चिंगारियाँ और ज्वालाओं के साथ वह पर्वत शिखर पृथ्वी पर गिर पड़ा।
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.