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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 6: युद्ध काण्ड
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सर्ग 70: हनुमान जी के द्वारा देवान्तक और त्रिशिरा का, नील के द्वारा महोदर का तथा ऋषभ के द्वारा महापार्श्व का वध
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श्लोक 17
श्लोक
6.70.17
अथाश्वास्य महातेजा: कृच्छ्राद् देवान्तको बली।
आविध्य परिघं वेगादाजघान तदाङ्गदम्॥ १७॥
अनुवाद
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तत्पश्चात् महातेजस्वी और बलवान् देवान्तक ने बड़ी कठिनाई से स्वयं को सँभाला और परिघ को उठाया। वेग से घुमाते हुए उसने अंगद पर दे मारा।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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