श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 6: युद्ध काण्ड  »  सर्ग 70: हनुमान जी के द्वारा देवान्तक और त्रिशिरा का, नील के द्वारा महोदर का तथा ऋषभ के द्वारा महापार्श्व का वध  »  श्लोक 16
 
 
श्लोक  6.70.16 
 
 
स विह्वलस्तु तेजस्वी वातोद्‍धूत इव द्रुम:।
लाक्षारससवर्णं च सुस्राव रुधिरं महत्॥ १६॥
 
 
अनुवाद
 
  तेजस्वी देवान्तक उस प्रहार से व्याकुल हो गया और हवा में हिलते हुए वृक्ष की तरह काँपने लगा। उसके शरीर से मेहंदी के रंग के समान लाल रंग का बहुत अधिक खून बहने लगा।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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