स प्रासमाविध्य तदाङ्गदाय
समुज्ज्वलन्तं सहसोत्ससर्ज।
स वालिपुत्रोरसि वज्रकल्पे
बभूव भग्नो न्यपतच्च भूमौ॥ ८८॥
अनुवाद
सहसा उसने उस चमकते हुए भाले से अंगद पर प्रहार किया। वालि पुत्र अंगद का वक्षःस्थल वज्र के समान कठोर था। नरान्तक का भाला उस पर टकराकर टूट गया और भूमि पर गिर पड़ा।