श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 6: युद्ध काण्ड  »  सर्ग 69: रावण के पुत्रों और भाइयों का युद्ध के लिये जाना और नरान्तक का अङ्गद के द्वारा वध  »  श्लोक 63
 
 
श्लोक  6.69.63 
 
 
विकीर्णा: पर्वतास्तैश्च द्रुमच्छिन्नैश्च संयुगे।
हतैश्च कपिरक्षोभिर्दुर्गमा वसुधाभवत्॥ ६३॥
 
 
अनुवाद
 
  टूटे-फूटे पर्वतों, कटे-हुए वृक्षों तथा मारे गए राक्षसों और वानरों के शवों से ढकी हुई भूमि पर चलना-फिरना कठिन हो गया था।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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