श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 6: युद्ध काण्ड  »  सर्ग 69: रावण के पुत्रों और भाइयों का युद्ध के लिये जाना और नरान्तक का अङ्गद के द्वारा वध  »  श्लोक 23
 
 
श्लोक  6.69.23 
 
 
त्रिशिरा रथमास्थाय विरराज धनुर्धर:।
सविद्युदुल्क: सज्वाल: सेन्द्रचाप इवाम्बुद:॥ २३॥
 
 
अनुवाद
 
  त्रिशिरा उस रथ पर बैठकर धनुष धारण किए हुए बिजली, उल्का, आग और इंद्रधनुष से युक्त मेघ के समान शोभायमान हुआ।
 
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.