वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
»
काण्ड 6: युद्ध काण्ड
»
सर्ग 68: कुम्भकर्ण के वध का समाचार सुनकर रावण का विलाप
»
श्लोक 16
श्लोक
6.68.16
ध्रुवमद्यैव संहृष्टा लब्धलक्षा: प्लवंगमा:।
आरोक्ष्यन्तीह दुर्गाणि लङ्काद्वाराणि सर्वश:॥ १६॥
अनुवाद
play_arrowpause
निश्चय ही आज ही हर्ष से भरे वानरों ने अपना लक्ष्य प्राप्त कर लिया है और लङ्का के समस्त दुर्गम द्वारों पर चढ़ जायेंगे।
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.