वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
»
काण्ड 6: युद्ध काण्ड
»
सर्ग 67: कम्भकर्ण का भयंकर युद्ध और श्रीराम के हाथ से उसका वध
»
श्लोक 3
श्लोक
6.67.3
प्रयाताश्च गता हर्षं मरणे कृतनिश्चया:।
चक्रु: सुतुमुलं युद्धं वानरास्त्यक्तजीविता:॥ ३॥
अनुवाद
play_arrowpause
अब वे वानर मरने का संकल्प ले कर बड़े आनंद से युद्ध के लिए आगे बढ़े और अपने प्राणों का मोह त्यागकर भयंकर युद्ध करने लगे।
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.