श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 6: युद्ध काण्ड  »  सर्ग 67: कम्भकर्ण का भयंकर युद्ध और श्रीराम के हाथ से उसका वध  »  श्लोक 3
 
 
श्लोक  6.67.3 
 
 
प्रयाताश्च गता हर्षं मरणे कृतनिश्चया:।
चक्रु: सुतुमुलं युद्धं वानरास्त्यक्तजीविता:॥ ३॥
 
 
अनुवाद
 
  अब वे वानर मरने का संकल्प ले कर बड़े आनंद से युद्ध के लिए आगे बढ़े और अपने प्राणों का मोह त्यागकर भयंकर युद्ध करने लगे।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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