श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 6: युद्ध काण्ड  »  सर्ग 66: कुम्भकर्ण के भय से भागे हुए वानरों का अङ्गद द्वारा प्रोत्साहन और आवाहन, कुम्भकर्ण द्वारा वानरों का संहार  »  श्लोक 8
 
 
श्लोक  6.66.8 
 
 
कृच्छ्रेण तु समाश्वस्य संगम्य च ततस्तत:।
वृक्षान् गृहीत्वा हरय: सम्प्रतस्थू रणाजिरे॥ ८॥
 
 
अनुवाद
 
  वानरों ने बड़े कठिनाई से अपने को संभाला और फिर इधर-उधर से इकट्ठा होकर हाथों में वृक्ष लेकर युद्ध के मैदान की तरफ बढ़े।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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