श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 6: युद्ध काण्ड  »  सर्ग 66: कुम्भकर्ण के भय से भागे हुए वानरों का अङ्गद द्वारा प्रोत्साहन और आवाहन, कुम्भकर्ण द्वारा वानरों का संहार  »  श्लोक 31
 
 
श्लोक  6.66.31 
 
 
द्रवमाणास्तु ते वीरा अङ्गदेन बलीमुखा:।
सान्त्वनैश्चानुमानैश्च तत: सर्वे निवर्तिता:॥ ३१॥
 
 
अनुवाद
 
  अंगद ने भाग रहे उन सभी वीर वानरों को प्यार से समझा-बुझाकर और उनका सम्मान करके वापस बुला लिया।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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