वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
»
काण्ड 6: युद्ध काण्ड
»
सर्ग 66: कुम्भकर्ण के भय से भागे हुए वानरों का अङ्गद द्वारा प्रोत्साहन और आवाहन, कुम्भकर्ण द्वारा वानरों का संहार
»
श्लोक 13
श्लोक
6.66.13
लोहितार्द्रास्तु बहव: शेरते वानरर्षभा:।
निरस्ता: पतिता भूमौ ताम्रपुष्पा इव द्रुमा:॥ १३॥
अनुवाद
play_arrowpause
बहुत से शक्तिशाली बंदर खून से सने हुए धरती पर सो गए। जब वानरराज ने उन्हें उठाकर ऊपर फेंका, तो वे लाल फूलों से लदे हुए वृक्षों की तरह पृथ्वी पर गिर पड़े।
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.