श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 6: युद्ध काण्ड  »  सर्ग 66: कुम्भकर्ण के भय से भागे हुए वानरों का अङ्गद द्वारा प्रोत्साहन और आवाहन, कुम्भकर्ण द्वारा वानरों का संहार  »  श्लोक 12
 
 
श्लोक  6.66.12 
 
 
सोऽपि सैन्यानि संक्रुद्धौ वानराणां महौजसाम्।
ममन्थ परमायत्तो वनान्यग्निरिवोत्थित:॥ १२॥
 
 
अनुवाद
 
  उधर क्रोध से भरे हुए कुम्भकर्ण ने भी, अपनी अपार शक्ति से वानरों की विशाल सेनाओं को उसी प्रकार कुचलना आरम्भ कर दिया, जैसे प्रचंड आग फैलते हुए जंगलों को नष्ट कर देती है।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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