वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
»
काण्ड 6: युद्ध काण्ड
»
सर्ग 66: कुम्भकर्ण के भय से भागे हुए वानरों का अङ्गद द्वारा प्रोत्साहन और आवाहन, कुम्भकर्ण द्वारा वानरों का संहार
»
श्लोक 1
श्लोक
6.66.1
स लङ्घयित्वा प्राकारं गिरिकूटोपमो महान्।
निर्ययौ नगरात् तूर्णं कुम्भकर्णो महाबल:॥ १॥
अनुवाद
play_arrowpause
महापराक्रमी कुम्भकर्ण पर्वत-शिखर के समान विशालकाय था। उसने तीव्र गति से शहर की परकोटा को लाँघकर नगर से बाहर निकल गया।
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.