वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
»
काण्ड 6: युद्ध काण्ड
»
सर्ग 65: कुम्भकर्ण की रणयात्रा
»
श्लोक 9
श्लोक
6.65.9
एवमुक्तवतो वाक्यं कुम्भकर्णस्य धीमत:।
प्रत्युवाच ततो वाक्यं प्रहसन् राक्षसाधिप:॥ ९॥
अनुवाद
play_arrowpause
जब कुम्भकर्ण ने इस प्रकार अपने वीरतापूर्ण शब्दों को बोल लिया, तब राक्षसों के राजा रावण हँसते हुए बोले।
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.