श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 6: युद्ध काण्ड  »  सर्ग 65: कुम्भकर्ण की रणयात्रा  »  श्लोक 7
 
 
श्लोक  6.65.7 
 
 
राजशेषा कृता लङ्का क्षीण: कोशो बलं हतम्।
राजानमिममासाद्य सुहृच्चिह्नममित्रकम्॥ ७॥
 
 
अनुवाद
 
  अब लङ्का में केवल राजा रावण ही बचे हुए हैं। सारा धन ख़त्म हो गया और सेना का भी नाश हो चुका है। इस राजा को पाकर तुम लोगों ने मित्रता का नाटक करते हुए शत्रुता का कार्य किया है।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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