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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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श्लोक 51
श्लोक
6.65.51
निष्पपात तदा चोल्का ज्वलन्ती भीमनि:स्वना।
आदित्यो निष्प्रभश्चासीन्न वाति च सुखोऽनिल:॥ ५१॥
अनुवाद
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निश्चित ही उसी क्षण एक आग उगलती हुई उल्का पृथ्वी पर भीषण ध्वनि के साथ गिरी। सूर्य का प्रकाश क्षीण हो गया और हवा इतनी तेज गति से बहने लगी कि सहनीय नहीं रह गई।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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