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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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सर्ग 65: कुम्भकर्ण की रणयात्रा
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श्लोक 45
श्लोक
6.65.45
पुररोधस्य मूलं तु राघव: सहलक्ष्मण:।
हते तस्मिन् हतं सर्वं तं वधिष्यामि संयुगे॥ ४५॥
अनुवाद
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‘वास्तवमें लङ्कापुरीपर घेरा डालनेके प्रधान कारण हैं—लक्ष्मणसहित राम। अत: सबसे पहले मैं उन्हींको युद्धमें मारूँगा। उनके मारे जानेपर सारी वानर-सेना स्वत: मरी हुई-सी हो जायगी’॥ ४५॥
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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