श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 6: युद्ध काण्ड  »  सर्ग 65: कुम्भकर्ण की रणयात्रा  »  श्लोक 35
 
 
श्लोक  6.65.35 
 
 
सर्पैरुष्ट्रै: खरैश्चैव सिंहद्विपमृगद्विजै:।
अनुजग्मुश्च तं घोरं कुम्भकर्णं महाबलम्॥ ३५॥
 
 
अनुवाद
 
  कई राक्षस सांप, ऊँट, गधे, सिंह, हाथी, हिरण और चिड़ियों पर सवार होकर उस भयंकर और महाबली कुंभकर्ण के पीछे-पीछे चले।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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