वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
»
काण्ड 6: युद्ध काण्ड
»
सर्ग 65: कुम्भकर्ण की रणयात्रा
»
श्लोक 35
श्लोक
6.65.35
सर्पैरुष्ट्रै: खरैश्चैव सिंहद्विपमृगद्विजै:।
अनुजग्मुश्च तं घोरं कुम्भकर्णं महाबलम्॥ ३५॥
अनुवाद
play_arrowpause
कई राक्षस सांप, ऊँट, गधे, सिंह, हाथी, हिरण और चिड़ियों पर सवार होकर उस भयंकर और महाबली कुंभकर्ण के पीछे-पीछे चले।
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.