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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 6: युद्ध काण्ड
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सर्ग 65: कुम्भकर्ण की रणयात्रा
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श्लोक 34
श्लोक
6.65.34
तं गजैश्च तुरंगैश्च स्यन्दनैश्चाम्बुदस्वनै:।
अनुजग्मुर्महात्मानो रथिनो रथिनां वरम्॥ ३४॥
अनुवाद
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हाथी और घोड़ों से युक्त, बादलों की गड़गड़ाहट के समान ध्वनि करने वाले रथों पर सवार हो अनेक पराक्रमी रथी वीर रथियों में सर्वश्रेष्ठ कुम्भकर्ण के साथ गए।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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