श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 6: युद्ध काण्ड  »  सर्ग 65: कुम्भकर्ण की रणयात्रा  »  श्लोक 33
 
 
श्लोक  6.65.33 
 
 
तमाशीर्भि: प्रशस्ताभि: प्रेषयामास रावण:।
शङ्खदुन्दुभिनिर्घोषै: सैन्यैश्चापि वरायुधै:॥ ३३॥
 
 
अनुवाद
 
  रावण ने उस युद्धवीर सेनापति को श्रेष्ठ आशीर्वाद दिया और उत्तम आयुधों से लैस सेनाओं के साथ युद्ध के लिए बिदा किया। इस अवसर पर शंख, दुन्दुभि आदि बाजे भी बजवाए गए।
 
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.