श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 6: युद्ध काण्ड  »  सर्ग 65: कुम्भकर्ण की रणयात्रा  »  श्लोक 26
 
 
श्लोक  6.65.26 
 
 
अङ्गदान्यङ्गुलीवेष्टान् वराण्याभरणानि च।
हारं च शशिसंकाशमाबबन्ध महात्मन:॥ २६॥
 
 
अनुवाद
 
  हाथों में बाजूबंद, अंगुलियों में अंगूठियाँ, शरीर पर श्रेष्ठ आभूषण और चंद्रमा के समान चमकीला हार-इन सबको उसने महापराक्रमी कुंभकर्ण के अंगों में पहनाया।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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