श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 6: युद्ध काण्ड  »  सर्ग 65: कुम्भकर्ण की रणयात्रा  »  श्लोक 22
 
 
श्लोक  6.65.22 
 
 
अद्य तान् क्षुधित: क्रुद्धो भक्षयिष्यामि वानरान्।
कुम्भकर्णवच: श्रुत्वा रावणो वाक्यमब्रवीत्॥ २२॥
 
 
अनुवाद
 
  रावण ने कुम्भकर्ण के शब्दों को सुनकर उत्तर दिया, "हे कुम्भकर्ण, आज तू भूखा और क्रोधित है, इसलिए तू सभी वानरों को खा जाना चाहता है। लेकिन, ऐसा करना उचित नहीं है। वानर हमारे मित्र हैं और उन्होंने हमेशा हमारी मदद की है। यदि हम उन्हें खा जाएँगे, तो वे हमसे नाराज हो जाएँगे और हमारा साथ छोड़ देंगे। इसलिए, मेरा सुझाव है कि हम वानरों को न खाएँ और उनके साथ शांति से रहें।"
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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