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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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श्लोक 10
श्लोक
6.65.10
महोदरोऽयं रामात् तु परित्रस्तो न संशय:।
न हि रोचयते तात युद्धं युद्धविशारद॥ १०॥
अनुवाद
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महोदर श्रीराम से डर गया है, इसलिए वह युद्ध नहीं करना चाहता। वह युद्ध करने में बहुत कुशल है, परंतु श्रीराम के सामने उसे हार का भय सता रहा है।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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