वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
»
काण्ड 6: युद्ध काण्ड
»
सर्ग 65: कुम्भकर्ण की रणयात्रा
»
श्लोक 1
श्लोक
6.65.1
स तथोक्तस्तु निर्भर्त्स्य कुम्भकर्णो महोदरम्।
अब्रवीद् राक्षसश्रेष्ठं भ्रातरं रावणं तत:॥ १॥
अनुवाद
play_arrowpause
महोदर के ऐसा कहने पर निडर रहने वाले कुम्भकर्ण ने उसे डाँटा और अपने बड़े भाई राक्षसों में श्रेष्ठ रावण से कहा-।
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.