श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 6: युद्ध काण्ड  »  सर्ग 65: कुम्भकर्ण की रणयात्रा  »  श्लोक 1
 
 
श्लोक  6.65.1 
 
 
स तथोक्तस्तु निर्भर्त्स्य कुम्भकर्णो महोदरम्।
अब्रवीद् राक्षसश्रेष्ठं भ्रातरं रावणं तत:॥ १॥
 
 
अनुवाद
 
  महोदर के ऐसा कहने पर निडर रहने वाले कुम्भकर्ण ने उसे डाँटा और अपने बड़े भाई राक्षसों में श्रेष्ठ रावण से कहा-।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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