श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 6: युद्ध काण्ड  »  सर्ग 63: कुम्भकर्ण का रावण को उसके कुकृत्यों के लिये उपालम्भ देना और उसे धैर्य बँधाते हुए युद्धविषयक उत्साह प्रकट करना  »  श्लोक 49-50h
 
 
श्लोक  6.63.49-50h 
 
 
मुञ्च रामाद् भयं घोरं निहनिष्यामि संयुगे॥ ४९॥
राघवं लक्ष्मणं चैव सुग्रीवं च महाबलम्।
 
 
अनुवाद
 
  तुम राम के प्रति जो गहन भय महसूस कर रहे हो, उसे छोड़ दो। मैं युद्ध में अवश्य ही राम, लक्ष्मण और शक्तिशाली सुग्रीव का वध कर दूँगा।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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