श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 6: युद्ध काण्ड  »  सर्ग 63: कुम्भकर्ण का रावण को उसके कुकृत्यों के लिये उपालम्भ देना और उसे धैर्य बँधाते हुए युद्धविषयक उत्साह प्रकट करना  »  श्लोक 1
 
 
श्लोक  6.63.1 
 
 
तस्य राक्षसराजस्य निशम्य परिदेवितम्।
कुम्भकर्णो बभाषेदं वचनं प्रजहास च॥ १॥
 
 
अनुवाद
 
  राक्षसों के राजा रावण का यह विलाप सुनकर कुम्भकर्ण खिलखिलाकर हँसने लगा और इस प्रकार बोला।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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