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श्लोक 6.63.1  |
तस्य राक्षसराजस्य निशम्य परिदेवितम्।
कुम्भकर्णो बभाषेदं वचनं प्रजहास च॥ १॥ |
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अनुवाद |
राक्षसराज रावण का यह विलाप सुनकर कुम्भकर्ण जोर-जोर से हँसने लगा और इस प्रकार बोला-॥1॥ |
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Hearing this lamentation of the demon king Ravana, Kumbhakarna began laughing loudly and said thus -॥ 1॥ |
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