तदनन्तर हाथों में पत्थरों की चोटियों और पेड़ों को थामे हुए वानरों की भयंकर सेना पर्वत के पास इकट्ठा हो गई। यह सेना देखने में उग्र घटाओं के समूह जैसी लग रही थी, जो पर्वत के निकट आ गई थीं।
इत्यार्षे श्रीमद्रामायणे वाल्मीकीये आदिकाव्ये युद्धकाण्डे एकषष्टितम: सर्ग: ॥ ६ १॥
इस प्रकार श्रीवाल्मीकिनिर्मित आर्षरामायण आदिकाव्यके युद्धकाण्डमें इकसठवाँ सर्ग पूरा हुआ ॥ ६ १॥