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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 6: युद्ध काण्ड
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सर्ग 61: विभीषण का श्रीराम को कुम्भकर्ण का परिचय देना, श्रीराम की आज्ञा से वानरों का लङ्का के द्वारों पर डट जाना
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श्लोक 38
श्लोक
6.61.38
ततो गवाक्ष: शरभो हनूमानङ्गदस्तथा।
शैलशृङ्गाणि शैलाभा गृहीत्वा द्वारमभ्ययु:॥ ३८॥
अनुवाद
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तदनंतर गवाक्ष, शरभ, हनुमान और अंगद जैसे पर्वताकार वानरों ने पर्वत की चोटियाँ उठाकर लंका के द्वार पर खड़े हो गए।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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