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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 6: युद्ध काण्ड
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सर्ग 61: विभीषण का श्रीराम को कुम्भकर्ण का परिचय देना, श्रीराम की आज्ञा से वानरों का लङ्का के द्वारों पर डट जाना
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श्लोक 34
श्लोक
6.61.34
विभीषणवच: श्रुत्वा हेतुमत् सुमुखोद्गतम्।
उवाच राघवो वाक्यं नीलं सेनापतिं तदा॥ ३४॥
अनुवाद
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विभीषण के सुंदर मुख से निकली हुई तर्कपूर्ण बात सुनकर श्रीरघुनाथजी ने सेनापति नील से कहा—।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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