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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 6: युद्ध काण्ड
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सर्ग 61: विभीषण का श्रीराम को कुम्भकर्ण का परिचय देना, श्रीराम की आज्ञा से वानरों का लङ्का के द्वारों पर डट जाना
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श्लोक 29
श्लोक
6.61.29
एकेनाह्ना त्वसौ वीरश्चरन् भूमिं बुभुक्षित:।
व्यात्तास्यो भक्षयेल्लोकान् संवृद्ध इव पावक:॥ २९॥
अनुवाद
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उस एक दिन वो वीर भूखा होकर पृथ्वी पर घूमेगा और फैला हुआ मुँह कर के बहुत सारे लोगों को खा जाएगा, ठीक जैसे प्रज्वलित अग्नि बहुत कुछ खा जाती है।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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