श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 6: युद्ध काण्ड  »  सर्ग 60: अपनी पराजय से दुःखी रावण की आज्ञा से सोये कुम्भकर्ण का जगाया जाना और उसे देखकर वानरों का भयभीत होना  »  श्लोक 7
 
 
श्लोक  6.60.7 
 
 
देवदानवगन्धर्वैर्यक्षराक्षसपन्नगै:।
अवध्यत्वं मया प्रोक्तं मानुषेभ्यो न याचितम्॥ ७॥
 
 
अनुवाद
 
  मैंने देवता, दानव, गंधर्व, यक्ष, राक्षस और नागों से अजेय होने का वरदान मांगा था, लेकिन मैंने मनुष्यों से अजेयता का वरदान नहीं मांगा था।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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