वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
»
काण्ड 6: युद्ध काण्ड
»
सर्ग 60: अपनी पराजय से दुःखी रावण की आज्ञा से सोये कुम्भकर्ण का जगाया जाना और उसे देखकर वानरों का भयभीत होना
»
श्लोक 7
श्लोक
6.60.7
देवदानवगन्धर्वैर्यक्षराक्षसपन्नगै:।
अवध्यत्वं मया प्रोक्तं मानुषेभ्यो न याचितम्॥ ७॥
अनुवाद
play_arrowpause
मैंने देवता, दानव, गंधर्व, यक्ष, राक्षस और नागों से अजेय होने का वरदान मांगा था, लेकिन मैंने मनुष्यों से अजेयता का वरदान नहीं मांगा था।
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.