श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 6: युद्ध काण्ड  »  सर्ग 60: अपनी पराजय से दुःखी रावण की आज्ञा से सोये कुम्भकर्ण का जगाया जाना और उसे देखकर वानरों का भयभीत होना  »  श्लोक 4
 
 
श्लोक  6.60.4 
 
 
स काञ्चनमयं दिव्यमाश्रित्य परमासनम्।
विप्रेक्षमाणो रक्षांसि रावणो वाक्यमब्रवीत्॥ ४॥
 
 
अनुवाद
 
  कंचन अर्थात सोने से निर्मित, दिव्य तथा श्रेष्ठ सिंहासन पर विराजमान होकर राक्षसों की ओर दृष्टि डालते हुए रावण इस समय इस प्रकार कहने लगा—।
 
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.