श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 6: युद्ध काण्ड  »  सर्ग 60: अपनी पराजय से दुःखी रावण की आज्ञा से सोये कुम्भकर्ण का जगाया जाना और उसे देखकर वानरों का भयभीत होना  »  श्लोक 1
 
 
श्लोक  6.60.1 
 
 
स प्रविश्य पुरीं लङ्कां रामबाणभयार्दित:।
भग्नदर्पस्तदा राजा बभूव व्यथितेन्द्रिय:॥ १॥
 
 
अनुवाद
 
  रावण जब राम के बाणों के भय से पीड़ित होकर लंकापुरी में पहुँचा, तो उसका घमंड चूर-चूर हो गया था। उसकी सारी इंद्रियाँ पीड़ा से व्याकुल थीं।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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