श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 6: युद्ध काण्ड  »  सर्ग 59: प्रहस्त की मृत्यु से दुःखी रावण का युद्ध के लिये पधारना, लक्ष्मण का युद्ध में आना, श्रीराम से परास्त होकर रावण का लङ्का जाना  »  श्लोक 7
 
 
श्लोक  6.59.7 
 
 
स एवमुक्त्वा ज्वलनप्रकाशं
रथं तुरंगोत्तमराजियुक्तम्।
प्रकाशमानं वपुषा ज्वलन्तं
समारुरोहामरराजशत्रु: ॥ ७॥
 
 
अनुवाद
 
  ऐसा कहकर रावण, देवराज का शत्रु, प्रकाशमान अग्नि के समान रथ पर चढ़ा। उसके रथ में उत्तम घोड़ों का एक समूह जुता हुआ था। रावण के शरीर से भी प्रकाशमान अग्नि के समान तेज प्रवाहित हो रहा था।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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