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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 6: युद्ध काण्ड
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सर्ग 59: प्रहस्त की मृत्यु से दुःखी रावण का युद्ध के लिये पधारना, लक्ष्मण का युद्ध में आना, श्रीराम से परास्त होकर रावण का लङ्का जाना
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श्लोक 31
श्लोक
6.59.31
दिष्टॺायमद्य पापात्मा मम दृष्टिपथं गत:।
अद्य क्रोधं विमोक्ष्यामि सीताहरणसम्भवम्॥ ३१॥
अनुवाद
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‘धन्य है भाग्य मेरा कि यह पाप का राजा रावण मेरी आँखों के सामने आ गया। सीताहरण करके उसने मेरे मन में जो अपार क्रोध भरा है, आज उसी पर निकालूँगा’।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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