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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 6: युद्ध काण्ड
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सर्ग 59: प्रहस्त की मृत्यु से दुःखी रावण का युद्ध के लिये पधारना, लक्ष्मण का युद्ध में आना, श्रीराम से परास्त होकर रावण का लङ्का जाना
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श्लोक 20
श्लोक
6.59.20
असौ च जीमूतनिकाशरूप:
कुम्भ: पृथुव्यूढसुजातवक्षा:।
समाहित: पन्नगराजकेतु-
र्विस्फारयन् याति धनुर्विधुन्वन्॥ २०॥
अनुवाद
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वह योद्धा जिसका रूप मेघ के समान काला है, जिसकी छाती चौड़ी, उभरी हुई और सुन्दर है, जिसकी ध्वजा पर नागराज वासुकि का चिह्न बना हुआ है, और जो एकाग्रचित्त हो अपने धनुष को खींच और छोड़ रहा है, वह कुम्भ नाम का योद्धा है।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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