श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 6: युद्ध काण्ड  »  सर्ग 59: प्रहस्त की मृत्यु से दुःखी रावण का युद्ध के लिये पधारना, लक्ष्मण का युद्ध में आना, श्रीराम से परास्त होकर रावण का लङ्का जाना  »  श्लोक 15
 
 
श्लोक  6.59.15 
 
 
योऽसौ रथस्थो मृगराजकेतु-
र्धुन्वन् धनु: शक्रधनु:प्रकाशम्।
करीव भात्युग्रविवृत्तदंष्ट्र:
स इन्द्रजिन्नाम वरप्रधान:॥ १५॥
 
 
अनुवाद
 
  वह महान योद्धा जो रथ पर चढ़ा हुआ है, जिसकी ध्वजा पर सिंह का चिह्न है, जिसके दाढ़ जैसे हाथी के और उग्र बाहर निकले हुए हैं और जो इंद्रधनुष के समान कान्तिमान् धनुष हिला रहा है, उसका नाम इंद्रजित है। वह वरदान के प्रभाव से अत्यंत प्रबल हो गया है।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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