श्रीरघुनाथजी के वचन सुनकर विभीषण ने इस प्रकार उत्तर दिया – ‘प्रभो! इस राक्षस का नाम प्रहस्त है। यह राक्षसराज रावण का सेनापति है और लंका की एक तिहाई सेना उसको घेरे हुए है। उसका पराक्रम सर्वविदित है। वह अनेक प्रकार के शस्त्रों का ज्ञाता, बल और वीरता से ओतप्रोत और एक शूरवीर है’।