श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 6: युद्ध काण्ड  »  सर्ग 57: प्रहस्त का रावण की आज्ञा से विशाल सेना सहित युद्ध के लिये प्रस्थान  »  श्लोक 34
 
 
श्लोक  6.57.34 
 
 
व्यभ्रमाकाशमाविश्य मांसशोणितभोजना:।
मण्डलान्यपसव्यानि खगाश्चक्रू रथं प्रति॥ ३४॥
 
 
अनुवाद
 
  उस समय निर्मल और साफ आकाश में उड़ते हुए खून और मांस खाने वाले पक्षियों के झुंड ने प्रहस्त के रथ की दक्षिणावर्त परिक्रमा शुरू कर दी।
 
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.