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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 6: युद्ध काण्ड
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सर्ग 57: प्रहस्त का रावण की आज्ञा से विशाल सेना सहित युद्ध के लिये प्रस्थान
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श्लोक 12
श्लोक
6.57.12
रावणेनैवमुक्तस्तु प्रहस्तो वाहिनीपति:।
राक्षसेन्द्रमुवाचेदमसुरेन्द्रमिवोशना ॥ १२॥
अनुवाद
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रावण के बोलने पर सेनापति प्रहस्त ने उस राक्षसराज के आगे उसी तरह अपने विचार प्रस्तुत किये जैसे कि शुक्राचार्य असुरों के राजा बलि को सलाह दिया करते हैं ॥१२॥
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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