श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 6: युद्ध काण्ड  »  सर्ग 56: हनुमान जी के द्वारा अकम्पन का वध  »  श्लोक 5
 
 
श्लोक  6.56.5 
 
 
एतान् निहन्तुमिच्छामि समरश्लाघिनो ह्यहम्।
एतै: प्रमथितं सर्वं रक्षसां दृश्यते बलम्॥ ५॥
 
 
अनुवाद
 
  ‘ये युद्धकी स्पृहा रखनेवाले हैं; अत: मैं इन सबका वध करना चाहता हूँ। इन्होंने सारी राक्षससेनाको मथ डाला है। यह साफ दिखायी देता है’॥ ५॥
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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