श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 6: युद्ध काण्ड  »  सर्ग 56: हनुमान जी के द्वारा अकम्पन का वध  »  श्लोक 12
 
 
श्लोक  6.56.12 
 
 
अचिन्तयित्वा बाणौघान् शरीरे पातितान् कपि:।
अकम्पनवधार्थाय मनो दध्रे महाबल:॥ १२॥
 
 
अनुवाद
 
  अपने शरीर पर लगे हुए बाणों की परवाह न करते हुए महाबली हनुमान ने अकम्पन के वध के लिए मन में निश्चय किया।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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