श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 6: युद्ध काण्ड  »  सर्ग 54: वज्रदंष्ट्र और अङ्गद का युद्ध तथा अङ्गद के हाथ से उस निशाचर का वध  »  श्लोक 32
 
 
श्लोक  6.54.32 
 
 
व्रणै: सास्रैरशोभेतां पुष्पिताविव किंशुकौ।
युध्यमानौ परिश्रान्तौ जानुभ्यामवनीं गतौ॥ ३२॥
 
 
अनुवाद
 
  दोनों योद्धाओं के घावों से रक्त बहने लगा, जिससे वे खिलते हुए पलाश के पेड़ों की तरह दिखाई देने लगे। लड़ते-लड़ते थक कर दोनों अपने घुटनों के बल जमीन पर गिर पड़े।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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