श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 6: युद्ध काण्ड  »  सर्ग 54: वज्रदंष्ट्र और अङ्गद का युद्ध तथा अङ्गद के हाथ से उस निशाचर का वध  »  श्लोक 23
 
 
श्लोक  6.54.23 
 
 
अङ्गदेन शिला क्षिप्ता गत्वा तु रणमूर्धनि।
सचक्रकूबरं साश्वं प्रममाथ रथं तदा॥ २३॥
 
 
अनुवाद
 
  अंगद द्वारा फेंकी गई वह चट्टान युद्ध के मैदान में पहुँचकर उसके रथ के पहियों, घोड़ों और रथ के अगले हिस्से को तुरंत चकनाचूर कर दिया।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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