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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 6: युद्ध काण्ड
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सर्ग 54: वज्रदंष्ट्र और अङ्गद का युद्ध तथा अङ्गद के हाथ से उस निशाचर का वध
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श्लोक 20
श्लोक
6.54.20
दृष्ट्वा पतन्तं तं वृक्षमसम्भ्रान्तश्च राक्षस:।
चिच्छेद बहुधा सोऽपि मथित: प्रापतद् भुवि॥ २०॥
अनुवाद
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वह राक्षस उस वृक्ष को अपनी ओर आता देखकर घबराया नहीं और उस वृक्ष को बाण मारकर उसके छोटे-छोटे टुकड़े कर दिए। इस तरह टुकड़े-टुकड़े होकर वह वृक्ष पृथ्वी पर गिर पड़ा।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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