श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 6: युद्ध काण्ड  »  सर्ग 54: वज्रदंष्ट्र और अङ्गद का युद्ध तथा अङ्गद के हाथ से उस निशाचर का वध  »  श्लोक 17
 
 
श्लोक  6.54.17 
 
 
वज्रदंष्ट्रोऽङ्गदश्चोभौ योयुध्येते परस्परम्।
चेरतु: परमक्रुद्धौ हरिमत्तगजाविव॥ १७॥
 
 
अनुवाद
 
  तब क्रोध में भरे वज्रदंष्ट्र और अंगद ने एक-दूसरे से युद्ध करना शुरू कर दिया। युद्ध के मैदान में दोनों ऐसे लग रहे थे जैसे कि जंगल में दो विशाल मतवाले हाथी लड़ रहे हों।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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