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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 6: युद्ध काण्ड
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सर्ग 54: वज्रदंष्ट्र और अङ्गद का युद्ध तथा अङ्गद के हाथ से उस निशाचर का वध
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श्लोक 15
श्लोक
6.54.15
त्रस्ता: सर्वे हरिगणा: शरै: संकृत्तदेहिन:।
अङ्गदं सम्प्रधावन्ति प्रजापतिमिव प्रजा:॥ १५॥
अनुवाद
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बाणों से जिनके शरीर छिन्न-भिन्न हो गये थे, वे समस्त वानरगण भयभीत हो अङ्गद की ओर दौड़े, जैसे प्रजा अपने राजा की शरण में जाती है।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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