श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 6: युद्ध काण्ड  »  सर्ग 53: वज्रदंष्ट्र का सेना सहित युद्ध के लिये प्रस्थान, वानरों और राक्षसों का युद्ध, अङ्गद द्वारा राक्षसों का संहार  »  श्लोक 8-9
 
 
श्लोक  6.53.8-9 
 
 
ऋष्टिभिस्तोमरैश्चित्रै: श्लक्ष्णैश्च मुसलैरपि।
भिन्दिपालैश्च चापैश्च शक्तिभि: पट्टिशैरपि॥ ८॥
खड्गैश्चक्रैर्गदाभिश्च निशितैश्च परश्वधै:।
पदातयश्च निर्यान्ति विविधा: शस्त्रपाणय:॥ ९॥
 
 
अनुवाद
 
  उनके साथ अनेक प्रकार के रंग-बिरंगे तोमर, चिकने मूसल, भिन्दिपाल, धनुष, शक्ति, पट्टिश, खड्ग, चक्र, गदा और नुकीले फरसे लिए हुए बहुत से पैदल सैनिक चले। उनके हाथों में अनेक प्रकार के अस्त्र-शस्त्र शोभा पा रहे थे।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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